स्टूडेंट्स से भरी क्लास में, अक्सर एक लड़की मेरा ध्यान अपनी ओर खीचंती है। बाकि सबके ही जैसी है वो भी, समय पर आना क्लास अटेंड करना और सबकी ही तरह चले जाना। ऐसा कुछ खास तो नहीं है जो मैं कह सकूँ उसके बारे में, पर न जाने क्यों वो मेरा ध्यान खींचती है. जब भी क्लास में समझाने के बाद मैं पूछती हूँ ‘is it clear?’ कुछ हाँ कहते हैं, कुछ सवाल पूछते है और कुछ शायद ये सोच लेते हैं की ‘अभी कौन माइक on करे? बाद में देखा जायेगा’। वो कभी न सवाल पूछती है, ना हाँ कहती हैं ,पर वो शायद ये भी नहीं सोचती कि बाद में देखा जायेगा। वो शायद पूछना तो चाहती है कुछ, पर रुक सी जाती है। करना चाहती है बहुत कुछ पर ना जाने क्यों सहम जाती है. कई बार, कुछ पूछना हो तो पूछ भी लेती है क्लास के बाद, पर क्लास में वो अक्सर शांत सी रहती है, हाँ पर जब भी क्लास में उसका नाम ले कर पूछती हुँ कुछ तो वो रिप्लाई जरूर करती है।
शायद वो मुझे मेरे कॉलेज के दिन की याद दिलाती है. मैं याद करती हूँ, अपने क्लास की उस शांत सी लड़की को, जो कई बार ये सोच कर रुक जाती थी और आज भी रुक जाती है, कि कैसे पूछूं? कहीं question ही गलत ना हो ? चलो बाद में पढ़ने पर समझ आ जायेगा। अभी सब क्या सोचेंगे?
शायद मैं भी कभी उसके जैसी ही हुआ करती थी इसलिए वो लड़की मेरा ध्यान खींचती है।
और मेरे अंदर की वो शांत सी लड़की, ये लिखते में भी ये ही सोच रही है कि लिख तो दिया है, पता नहीं कैसा है, सब क्या सोचेंगे…mail करूं भी या नहीं….हर समय सोचती है ये शांत सी लड़की। शायद हर क्लास में पायी जाती है यह शांत सी लड़की…
Author:
Shraddha Sharma, Assistant Professor, Unitedschool of Liberal Arts and Mass Communication (USLM)
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